हम ना जाने आसमां से हैं, कि ज़मीं से..
और कभी हैं, खुद से क्यूं अजनबी से..।
बिना मशाल ही फिरते हैं बियाबान में..
अंधेरों से है दोस्ती, दुश्मनी रौशनी से..।
इन दरो–दीवारों में, दम घुटता है बहुत..
आओ खुला आसमां ढूंढ लाएं, कहीं से..।
हर रोज देना पड़ा, जब हिसाब सांसों का..
घबरा के कहा सबने, तौबा ! इस ज़िंदगी से..।
महफ़िल में तेरी बेरूखी से, बदल गया जो था तयशुदा..
अब मुहब्बत पर तेरी, कैसे कहूं कुछ यकीं से..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




