हमें तुमसे मुहब्बत तुम्हे हमसे गिला, देख लो
हमको क्या हासिल, तुमको क्या मिला, देख लो..।
रखे रखे होठों पर नाम तेरा हर गली से गुज़रे हम..
हर मोड पर रख आए तेरी यादों का सिलसिला, देख लो..
उनके बगैर जो सांसे ही बोझिल लगने लगी तो..
अभी बहुत दूर न गया होगा यार का काफ़िला, देख लो..
अब हमको तो इश्क की बात से ही गुरेज होने लगा है..
इसमें कहां कभी मंजिलों का निशाँ मिला, देख लो..
इस जहां में हर कोई गुज़रे वक्त की गिरफ्त है..
हम सब खोए खोए से उसी में है मुब्तिला, देख लो..।
पवन कुमार "क्षितिज"