इश्क के दिन लेकर आई ऐसी घड़ी।
एक नजर मजबूर सी दरवाजे खड़ी।।
शायरी को खूबसूरत एहसास दे गई।
एक उँगली से जुल्फ को ऐंठती खड़ी।।
बेज़ार दिल हरियाली ने खुश किया।
बेपरवा नज़र इधर-उधर देखती खड़ी।।
तन्हाई को छोड़कर जाना ही पड़ेगा।
इसीलिए 'उपदेश' अवाक तकती खड़ी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




