वैसे तुझसे बात करने का बहाना कोई नही।
इसी को सोचते सोचते सो जाना कोई नही।।
भीगना चाहता तुम्हारे संग आती बरसात में।
तूँ जो आ जाए भूल जाऊँ ज़माना कोई नही।।
छू कर देखना चाहूँ जुल्फों से टपकता पानी।
हाथ पीठ पर सहलाना न रोकना कोई नही।।
लो आने लगी महक अंदेशे उनके आने के।
आसपास छुप कर आता सताना कोई नही।।
उसके छूने से घूमने लगता सुरूर का पहिया।
मुलायम उँगलियों से मुझे दबाना कोई नही।।
आँचल में छुपाने का दौर थम गया 'उपदेश'।
मगर चालू है सिर माथे पर सजाना कोई नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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