पकड़कर हाथ राहों में अक्सर
हाथ छोड़ देते हैं लोग।
बन कर हमसफर हमदर्द
अक्सर ज़ख्म दे जातें हैं लोग।
झूठी सब्ज़बाग दिखाकर
चने की झाड़ पर चढ़ा देते हैं लोग।
अगर वक्त रहते संभल नहीं पाए तो
देख कर मौका गिरा देते हैं यही लोग।
और बच कर रहना इन झूठी तारीफों से
अक्सर आस्तीन के सांप भी ऐसे हीं होते हैं लोग।
जो मीठे मीठे बोल कर जिंदगी में ज़हर घोलते हैं।
हर रिश्ते को सिक्कों की वजन से तोलते हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी ऐसे हीं है इनकी
जीवन की धुरी।
दूसरों को परेशान करने की न जाने इनकी
कौन सी है मज़बूरी।
बनो होशियार
रहो खबरदार
ऐसे लोगों से बनाओ दूरी..
जो समझे तुम्हारी मज़बूरी
ऐसे लोगों से बनाओ दूरी.....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




