शिवानी जैन एडवोकेटByss
मत ढूंढो प्रेम को मंदिर और मस्जिदों में,
यह तो बसता है हर साँस में, हर धड़कन में।
किसी को चाहो ऐसे, जैसे पूजा करते हो मन में,
यही सच्ची आराधना है, इस जीवन के उपवन में।
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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यह तो बसता है हर साँस में, हर धड़कन में।
किसी को चाहो ऐसे, जैसे पूजा करते हो मन में,
यही सच्ची आराधना है, इस जीवन के उपवन में।