पड़े पड़े कोने में कट रही
आम जिंदगी।
रोजाना के जद्दोजहद से जूझ
रही आम जिंदगी।
सपने खास बनने की तलाश रही
आम जिंदगी।
कभी नुक्कड़ चौराहे पर तो
कभी सड़को पटरियों पर
सिसक रही आम जिंदगी ।
उम्मीदें आशाये विश्वास
से जी रही आम जिंदगी
व्याधि है संताप है कष्ट है
फिरभि आराम से चल रही
आम जिंदगी।
ना दिखावा है
ना हीं कोई मिलावट है
जो भी है स्वच्छ है
सार्श्वत है।
निर्मल है अविराम विस्तारित है
आम जिंदगी।
आम आम है फिरभी खास है
आम जिंदगी।
हर खास के पीछे छिपी है एक
आम जिंदगी।
पर सच तो ये उसी की ई एम ई में कट
रही है ख़ास जिंदगी।
उधारी में लूट रही है ख़ास जिंदगी
इसलिए जिंदगी वही हो
जो शांती भरी हो
दिखावा भले हीं ना हो
पर सच्ची खुशी हो
चाहे कुछ भी हो..
जिंदगी में सच्ची खुशी हो..
जिंदगी में सच्ची खुशी हो...