👉 बहर :- ये मुक्तक मात्रिक बहर पे कहा गया है।
👉 अर्कान :- फ़ेलुन/फ़ेलुन/फ़ेलुन/फ़ेलुन/फ़ेलुन/फ़ेलुन/फ़े।
👉 मीटर :- 22/22/22/22/22/22/2.
"मुक्तक"
काम की तलाश में सारा दिन मारा मारा फिरूॅं!
रात में दयार-ए-ग़ैर की सड़कों पे आवारा फिरूॅं!!
कमाता है जो पैसे उसी की इज़्ज़त है दुनिया में!
मैं अनजान शहर में 'परवेज़' बे-सहारा फिरूॅं!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad