कुछ दिनों से खाली शब्द है,
खाली है मेरा मन,
खाली दुनिया में खाली होकर भी खाली पड़ा है तन,
कुछ शब्द नहीं बताऊं कैसे?
कुछ मन समझाऊं कैसे?
बिहारी की दुनिया में,
रसखान सा रस नहीं,
आनंद की छाया में,
लिपटा हुआ नंद नहीं,
सरगम के भी सात सुर अभी बेसुध पड़े,
छलकते आंसू भी अभी नम नहीं,
किनारे पर खड़ा किनारा नहीं है,
आवाज़ देता हूं मगर सुनता नहीं,
लिखा है मगर पढ़ता नहीं,
डरता हूं मगर डर नहीं,
शायर हूं मगर शायरी नहीं,
क्या हुआ? कोई पूछता नहीं,
चाँदनी है मगर चाँद नहीं,
साँया है मगर साथ नहीं,
सोच है मगर सोचता नहीं,
कीमत है मगर कीमती नहीं,
किताब है मगर विचार नहीं,
ज्ञान है मगर ज्ञानी नहीं,
दिल है मगर इंसान नहीं,
कर्म है मगर कर्त्ता नहीं,
कविता है मगर कवि नहीं,
मन शांत है मगर शांति नहीं,
प्रेम है मगर प्रेमी नहीं,
भक्ति है मगर भक्त नहीं,
लक्ष्य है मगर दृढ़ता नहीं,
पानी है मगर साफ नहीं,
धूप है मगर छांव नहीं,
चाहत है मगर चाहता नहीं,
लेखक है मगर लेखन नहीं,
आकाश है मगर पंछी नहीं,
मोती है मगर गोताखोर नहीं,
आलस्य है मगर आलसी नहीं,
भगवान है मगर उसका रूप नहीं,
मेहनत है मगर उसकी आदत नहीं,
जिंदगी है मगर जीना नहीं,
खाता है मगर खुलता नहीं,
भूखा है मगर भूख नहीं,
गरीबी है मगर गरीब नहीं,
इज्ज़त है मगर किसी को देता नहीं,
मुसीबत है मगर निकलता नहीं,
आदर है मगर दिखाता नहीं,
किस्मत है मगर आजमाता नहीं,
दान है मगर दानी नहीं,
न्याय है मगर देता नहीं,
सम्मान है मगर मिलता नहीं,
उत्साह है मगर उतना नहीं,
संगीत है मगर सुर नहीं,
अतिथि है मगर देवता नहीं,
रंग है मगर चढ़ता नहीं,
रिश्ता है मगर निभाता नहीं,
विश्वास है मगर किसी पे होता नहीं,
अहसास है मगर होता नहीं,
चिंता है मगर जताता नहीं,
रोजगार है मगर बेरोजगार नहीं,
आँसू है मगर दर्द नहीं,
पीड़ित हैं मगर पीड़ा नहीं,
भलाई है मगर करता नहीं,
कपड़ा है मगर तन ढ़कता नहीं,
सज्जन है मगर सादगी नहीं,
राह मगर चलता नहीं,
भँवरा है मगर फूल खिलता नहीं,
भीड़ है मगर पंक्ति नहीं,
दोस्ती है मगर दोस्त नहीं,
चुभता है मगर काँटा नहीं,
मकान है मगर कोई रहता नहीं,
पाँव है मगर छाले नहीं,
बारात है मगर दुल्हा नहीं,
दहेज़ है मगर दुल्हन नहीं,
नारी है मगर नारायणी नहीं,
बूँद है मगर गिरती नहीं,
पत्ते है मगर हिलते नहीं,
खेत है मगर खिलते नहीं,
एकता है मगर संगठन नहीं,
सरकार है मगर जनता नहीं,
क्षमा है मगर देता नहीं,
जलता है मगर सूरज नहीं,
मेहनत है मगर पसीना नहीं,
खुशबू है मगर कुसुम नहीं,
बंजर है मगर जमीं नहीं,
समाज है मगर है नहीं,
फैसला है मगर लेता नहीं,
अभिमान है मगर सम्मान नहीं,
कोयला है मगर काला नहीं,
सोना है मगर बिकता नहीं,
ईश्वर है मगर समझता नहीं,
मन है मगर मानता नहीं,
आशा है मगर निराशा नहीं,
खेल है मगर हारता नहीं,
खेलता है मगर खिलौना नहीं,
कला है मगर आकार नहीं,
ढलती है मगर शाम नहीं,
मजदूर है मगर मजदूरी नहीं,
ऋण है मगर उतरता नहीं,
स्त्री है मगर समझ आती नहीं,
पूछता है मगर प्रश्न नहीं,
ममता है मगर आँचल की गर्माहट नहीं,
सलाह है मगर कोई लेता नहीं,
रातें है मगर सन्नाटा नहीं,
इच्छा है मगर होती नहीं,
नशा है मगर चढ़ता नहीं,
बादल है मगर बदले नहीं,
ठण्डा है मगर आँगन नहीं,
जलता है मगर दीया नहीं,
मोहब्बत है मगर आशिक नहीं।।
- ललित दाधीच।।