यथार्थ से परमार्थ का सफ़र
महाभारत के युद्ध के दौरान भीष्म पितामह लम्बे समय तक तीरों पर लेटे रहे क्योंकि उन्हें अपनी इच्छा शक्ति से मृत्यु पाने का वरदान था परन्तु हम इसका केवल यही पहलू देखते हैं ।
प्रत्येक ग्रन्थ के प्रत्येक श्लोक में कुछ गहराई छुपी होती है परन्तु हम उनका अर्थ निकाल
कर उनकी गहराई को समझने की कोशिश भी नहीं करते ।यदि उनके सही अर्थ को समझ पाते तो अपने जीवन को सही दिशा में ले जाना आसान होता ।
इच्छा शक्ति एक साधारण शब्द नहीं है भीष्म पितामह का इच्छा मृत्यु वरदान हमें एक सीख देता है कि जो अपनी इच्छा शक्ति को मज़बूत कर लेता है उसे मृत्यु भी उसकी इच्छा के बिना नहीं ले जा सकती ।यदि अपने सोचे हुए काम को(यथार्थ) पूर्णता(परमार्थ)तक ले जाना है तो इच्छा शक्ति को ही प्रबल करना होगा ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




