New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक औरत के जीवन की सच्चाई

"एक औरत के जीवन की सच्चाई"

लड़की की जिंदगी आसान नहीं होती,
रिश्तों को अपने जोड़ के रखा
मन को चाहे तोड़ कर रखा,
हृदय में हजारों मारी ख्वाहिशें ।

जब हिसाब लगाने बैठी स्वंय को,
बिल्कुल खाली सा पाया हैं
एक घर को जोड़ने की खातिर,
एक घर से मुँह मोड़ कर रखा।

कौन कहता एक लड़की,
आसानी से खुश रह पाती है
प्रत्येक दिन उसे अपनों से ही,
नए-नए ताने मिलती हैं।

हर पल तथा हर दिन,
उसकी शिकायतें की जाती हैं
किसी को भी यह एहसास नहीं होता,
कि वह सबके लिए स्वयं को भूल गई है।

वो कहते हैं विवाह के बाद लड़की,
दो घर की लक्ष्मी बन जाती है
पर सत्य तो ये हैं,
वो अपनों के द्वारा ही, पराई कर दी जाती हैं।

जो वादें करता है उससे, साथ निभाने के,
वो ही, जब उसकी ना सुने
तब बिन कुछ कहें ही,
वो ये सब सह जाती है।

जीवन में उसने अपने,
सिर्फ संघर्ष ही पाया हैं
बेटी, बहन, पत्नी, बहु, माँ, भाभी,...
हर रिश्ता वो दिल से निभाती हैं।

कितना दर्द सहती है वो,
शायद ही कोई समझ पायेगा
नहीं सोचता कोई की,
वह आखिर, क्या करना चाहती हैं।

रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
ममरखा, अरेराज.. पूर्वी चंपारण (बिहार)




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

पवन कुमार "क्षितिज" said

सच्ची बात 👌

वन्दना सूद said

बात सही है पर जिस दिन अपने आप पर गुरूर करना शुरू कर दोगे कि हम ही हैं जो ये सब manage कर सकते हैं किसी और में ये हुनर है ही नहीं तो यकीन मानिए ये सब एक खेल लगेगा

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सच्चाई और दर्द से भरी कविता है, जो लड़की की जिंदगी की जद्दोजहद को बखूबी बयान करती है। इसमें उसकी निस्वार्थी भावना और समाज के दबावों का जो चित्रण है, वो दिल को झकझोर देता है। आपने बहुत खूबसूरती से उसके संघर्ष और संवेदनाओं को शब्दों में पिरोया है 👌 👌

वास्तविक रचनायें श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन