मिलकर भी न छू सकें ऐसी क्या बात थी, था मन गले लगाने का पर लगा न सकें,
क्यूँ थी भीड़ वहाँ जहाँ हम मिलते थे,
पास होकर भी हम दूर बैठे थे उनसे,
बस देख रहे थे दोनों एक – दूसरे को,
बस तड़प रहे थे प्यार के दो शब्द बोलने को...।।
- सुप्रिया साहू
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क्यूँ थी भीड़ वहाँ जहाँ हम मिलते थे,
पास होकर भी हम दूर बैठे थे उनसे,
बस देख रहे थे दोनों एक – दूसरे को,
बस तड़प रहे थे प्यार के दो शब्द बोलने को...।।
- सुप्रिया साहू