अपनी संस्कृति को भूल आधुनिक संस्कृति में उलझे
उलझे तो उलझे पर अपनों को ही भूले
गुलाब दिवस की आज धूम ऐसी मची है
स्कूल ,कॉलेज,हर गली शहर में
गुलाब की बिक्री बढ़ी है
दोस्ती को समझा नहीं
पर गुलाब देने की होड़ सब को लगी है ..
क्या कभी माँ में दोस्त नज़र नहीं आया तुमको ?
अगर आया है कभी
तो एक फूल आज माँ को भी देना..
क्या भाई बहन के रिश्ते में कभी दोस्ती नहीं दिखी तुम्हें ?
यह रिश्ता कभी दोस्ती की मिसाल नहीं लगा?
तो आज एक फूल उनको भी देना..
क्या हमेशा पापा की डाँट ही नज़र आई तुमको ?
कभी हक़ जताने वाला दोस्त नहीं दिखा ?
तो एक फूल आज पापा का भी बनता है ..
क्या हर सुख दुख में साथ खड़ा हुआ हमसफ़र दोस्त नहीं होता ?
अगर कभी दोस्ती निभाई है
तो आज एक फूल अपने हमसफ़र को ज़रूर देना..
क्या ग़मों में भी चेहरे पर मुस्कान लाने वाले हमारे बच्चे दोस्त नहीं होते ?
अगर बच्चों की दोस्ती अनमोल लगती है
तो आपके गुलाब पर इनका हक भी है ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




