फरहत राहत है_ इक़बाल बिखरा हुआ है उम्मीदें खुदा है
जाग के रहना के मैं आ रहा हूं ना उमिदी कुफ्र है फतवा
बेटी_मेरी आने में मेरे देर हुई तो समझना घर आबाद तेरा
देर मेरे लिए हो सकता है अंधेर उसके लिए नहीं होता है
समय से नही लौटा शैतान ने मेरे सन्तान को कब्जे किया
उसका आजमाइश है आ जीवन मेरे साथ हमने समझा है
कोई न मिला मैं ही था एक जन्म से मौत तक सब्र केलिए
हम हारते नहीं ज़िंदगी से ज़िंदगी बेजान है हम रूह रखते हैं
रूह को हम तड़पाते हैं या रूह देने वाला "वसी"तहकीक में है
भरे पेट को नींद आती है खाली पेट सवाल करता है पेट से
पेट मालूम नहीं सवाली का सवाल वह सुनता जिसे देखा नहीं
अब क्या उम्मीद रखना उससे के मेरा सन्तान दिखा देगा मुझे
मिलाया कोई नहीं दो में एक(इकबाल)का तस्वीर दिखाया हमें
खुदा किसे देखता किसे मालूम है न देखने वाला जानता है वसी
फरहत राहत है _ इक़बाल बिखरा हुआ है उम्मीदें खुदा है
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी
दरवेश ! लेखक ! पोशीदा शायर! 8.12.2025


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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