मासूम था वो
इल्ज़ाम ना दो
आरोप लगा
बदनाम ना करो
तुमने ही उकसाया होगा
त्रिया चरित्र दिखाया होगा
अरे, कॉलेज होता पढ़ने को
क्यूँ जाती बन ठन के यूॅ
गलती करी है
तो अब भुगतो
मासूम था वो
इल्ज़ाम ना दो
कपङे तो देखो
शालीनता ही नहीं
हॅस हॅस के लड़कों से
बतियाती हर घङी
गर इज्जत है प्यारी
रात को बाहर गयी क्यों
मासूम था वो
इल्ज़ाम ना दो
माँ ने कुछ भी
समझाया नहीं?
संस्कार क्या होते है
बतलाया नहीं
मर्दों जैसी आज़ादी चाहिए
मिल गई?? अब भुगतो
मासूम था वो
इल्ज़ाम ना दो
समाज के कुछ
कायदे होते है
अरे, तेरे हितैशी है
तभी टोकते है
पुरुष प्रधान समाज है
औरत हो, संभल के रहो
मासूम था वो
इल्ज़ाम ना दो
चित्रा बिष्ट