एक शक्ति ,एक ज्योति
कान्हा, कृष्णा,पुरुषोत्तम और कोई कहे उन्हें कन्हैया,
जिनका रूप,रंग और मुस्कान सबको मोहित कर दे।
हमने हमेशा उनको ख़ामोश देखा है,
न जाने फिर भी फूलों से भी कोमल उनके शब्दों को सुनने का मन करता है।
उनकी नज़र हम पर कभी पड़ी या नहीं ये तो नहीं जानते,
फिर भी उनकी आकर्षण भरी आँखों में समस्त ब्रह्माणड देखने का मन करता है।
सुख-दुख में थामने वाले उनके हाथ भी कभी नहीं देखे,
फिर भी उन हाथों को छू कर उन्हें महसूस करने का मन करता है।
हम उनके वर्चस्व को न कभी जान पाए हैं और शायद न ही कभी पहचान पाएँगे,
फिर भी उन्हें अपना कहने का , अपना बनाने का मन करता है ॥
वन्दना सूद
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