धड़कने बदलती जा रही हे मेरे सीने में आजकल
वो क्यू दिखाई नहीं देती जमी पर आजकल
सूरज तो खुद गरम हे राहत कहांसे मिलेंगी
चांदनी कोभी रोक लेता हे आने से आजकल
वो क्या समजता हे खुद को हम हार नहीं मानेगे ?
हम मरकर भी नहीं छोड़ेंगे चांदनी को आजकल
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




