निष्काम काम पूर्ण होता है।
जिसमें पाप का एक भी ना चूर्ण हो
वह जो शुद्ध और पवित्र होता है
वही तो वक्त के साथ परिपूर्ण होता है।
पुण्य की चाह में रखते कदम तबाह में तो भी क्या...
वह स्याह राह भी उजियारे में तब्दील होते हैं।
खुशियों की चाह वाले चाहें किसी भी राह पर क्यों न चलें ..
वो दुखों में भी खुशी के हकदार जीतें हैं।
जो हैं परम पवित्र वो जन कल्याण करतें हैं
खिज़ाओं में भी घिरें हों तो क्या बहारों की चाह रखते हैं ।
और रखतें हैं पांव जहां भी जीधर भी
सिर्फ़ खुशी तरक्की विकास की बुनियाद रखतें हैं।
क्योंकि अच्छे लोग जहां भी होते हैं
वहीं तो भगवान होते हैं
वहीं तो भगवान होते हैं...