अक्सर निकल जातें हैं आंसू लोगों की
बेवफाई के बाद।
समझ में आती है अहमियत आदमी की
आदमी के जाने के बाद।
ना सीतमगर थी वो ना सनम बेवफा थी
फिर क्यूं बन के रहबर मेरा वह हवा हो गई..
शायद उसे अपने प्यार से ज्यादा
अपने परिवार की चिंता थी।
इसलिए रुख मोड़ लिया उसने।
जिंदगी भर की यादें छोड़ दिया उसने।
पर जो भी थी जैसी भी थी
वह हरदिल अज़ीज़ थी
पर मेरे दिल के बहुत क़रीब थी।
गई वो जबसे ठीक से सो नहीं पाया तबसे
उसका चेहरा हर पल मेरी आंखों में रहता है।
जो मुझे उसे एक पल भी ना भूलने देता है।
बन गया है वो अब अक्स मेरा...
वह बन के साया मेरे संग संग चलती है....
वह बन के साया मेरे संग संग चलती है..