प्रेमसागर,
मदमस्त डुबकी ,
भीगी प्रेयसी !
धुंधली भोर,
दिन रात बैचेन,
अकेलापन !
थकी अखियां ,
पथ रहीं निहार ,
साजन तेरा !
भूली बिसरी,
यादों के बलबूते,
मिलन की लौ !
गली रास्ते में ,
सुनते ही आहट ,
खिड़की खोलूं !
आ जाओ पास ,
थाम लूं धड़कन ,
मिले सकून !
मत कराओ,
असह्य इंतजार ,
विह्वल पिया !
आंखें बिछाए ,
तेरे इन्तजार में ,
विसाले यार !
✒️ राजेश कुमार कौशल