कविता : दर्द....
तुम्हारे मेरे प्यार को
मंजूर न हुवा ये संसार को
ये संसार वाले
कितने बुरे काले
इन्ही के चलते
रह गए हाथ मलते
तुम रो रही उधर
मैं रो रहा इधर
तुम हुई किसी की
है चिंता इसी की
मैं हुवा किसी का
दर्द है इसी का
दर्द है इसी का.......