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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुमने क्यों सपने दिखाए - सुप्रिया साहू

तुमने क्यों सपने दिखाए

जब होना था तुम्हे मुझसे दूर तो,
मुझे तुमने सपने क्यों दिखाए..।।

रहने देते हमें भी हमेशा अकेले,
तुमने सपने सजाने क्यों दिखाए..।।

नहीं आता था हमें किसी के लिए रोना,
तुमने अश्क़ बहाना क्यों सीखाए..।।

न मिलना था हमें इस तरह तुमसे,
तुमने मिलने की चाहत क्यों जगाए..।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह क्या बात सुप्रिया जी सादर प्रणाम 🙏🙏

Supriya sahu replied

धन्यवाद आदरणीय सर जी 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

अच्छा है

Supriya sahu replied

शुक्रिया महोदय 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

शानदार 👌👌👏👏

Supriya sahu replied

तहेदिल से आपको शुक्रिया आदरणीय वंदना मैम😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Vadigi.aruna said

वाह👌👌

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही गहरी और भावनात्मक रचना, टूटे दिल की बेचैनी और रिश्ते की जटिलता का बेहतरीन चित्रण, एक सशक्त अभिव्यक्ति है, जो भावनाओं के तूफान को शांति से उकेरती है, सादर प्रणाम।

Supriya sahu replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय अशोक सर जी 😊🥰, आपको भी मेरा सादर प्रणाम 🙏🙏।

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