खास नही कोई साल महिना तुम्हारे बिन।
हर दिन ध्यान में डूबी रहती तुम्हारे बिन।।
पल पल बदलते देखे रिश्ते जीवन गुजरा।
जो बच गया वो गुज़रता नही तुम्हारे बिन।।
अब सब सामन्य सा लगता खुशी और गम।
जलाने वाले हुए कम 'उपदेश' तुम्हारे बिन।।
लोगों ने अब भी नहीं छोड़ा खोट रखना।
सदाचार रह गया हैप्पी न्यू ईयर तुम्हारे बिन।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद