सबसे सरल, सहज है ये सद्भावना मेरी,
इसकी भक्ति मैं तो सुबह–शाम करता हूं,
तुम ही मेरी आत्मा हो तुम हो मेरे गीत इस बात का ऐलान सरेआम करता हूं,
मनुज के रूप में बैठे आए देवता हो तुम,
इसी लिए तुमको मैं प्रणाम करता हूं..!
---कमलकांत घिरी ✍️
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इसी लिए तुमको मैं प्रणाम करता हूं..!
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