जब हमने शब्द दिए कि ये हरियाली पेड़ पौधों से आती है, ये खाद्य श्रृंखला जीव जंतु से सम्पन्न होती है, ये समुद्र है, ये आसमान है, ये बारिश है,
अगर सभी को हमने पहचान कर शब्द दे दिए उसमें मतभेद नहीं है,
तो हमारे शरीर और हमें भी तो शब्द मिला है, मनुष्य, मनुष्य।
उस मनुष्य को जातियों, वर्गों और धर्मों में क्यों बांटा,
इंसान और मनुष्य को क्यों बांटा गया,
क्यों तुम स्वार्थी रहोगे, तुम अधिकार करते रहोगे,
तुम मनुष्य हो या नहीं।।
- ललित दाधीच।।