तुम आये तो महफ़िलें गा उठी,
तुम्हें देखकर जिंदगी मुस्करा उठी,
शोख हवा बिखरने लगी चारों ओर,
फ़िजा की खुशबू भी गुनगुना उठी।
तुम आये तो महफ़िलें गा उठी,
तुम्हें देखकर जिंदगी मुस्करा उठी।
नदी की धारा जैसे करती है कल-कल,
सीपी की मोती भी चमकती पल-पल,
लहरें जैसे लहरा-लहरा कर लेती मौज,
लहरों की मौज, उदासी मिटा उठी।
तुम आये तो महफ़िलें गा उठी,
तुम्हें देखकर जिंदगी मुस्करा उठी।
उदासी का आलम बड़ा अजीब था,
दूर हुआ वही जो सबसे करीब था,
गम की तासीर भी गमगीन हुई,
तुम्हें पा कर हँसी खिलखिला उठी।
तुम आये तो महफ़िलें गा उठी,
तुम्हें देखकर जिंदगी मुस्करा उठी।
तुम हो कस्तूरी, मैं जैसे कोई हिरण,
तुम ही मेरी रचना कि सुंदर चरण,
तुम्हारा साथ माँगता जिंदगी भर का,
तुम्हारे साथ मेरी दुनिया जगमगा उठी।
तुम आये तो महफ़िलें गा उठी,
तुम्हें देखकर जिंदगी मुस्करा उठी।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




