एगो भोजपुरी
ग़ज़ल
के प्रयास 🙏
समय इयाद रखिह बदलते रहेला।
हरदम हमेशा ई चलते रहेला।
समय के संगे जे मिल के चलेला,
आगे कदम ओकर बढ़ते रहेला।
समय के संघत सद्बुद्धि ना छोड़ें,
कुबुद्धि न समझे पीछड़ते रहेला।
हारला के बाद, अक्सर बूझाला ,
जे ना बूझल हाथ मलते रहेला।
समझऽ समय के ना तुच्छ कबो"प्यासा"
समइए से चक्कर पड़ते रहेला।
Vijay Kumar Pandey ✍️
विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा' ✍️