हास्य -व्यंग्य
टंकी सोल की फरियाद
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
"मैंने तो बस एक टंकी चुराई, क्या इतना बड़ा गुनाह किया?
जिन्होंने लूटा देश का खज़ाना, वो तो घूम रहे हैं जिया।
मेरी तो प्यास भी नहीं बुझी थी, टंकी तो खाली थी यार,
और मुझ पर लगा दिया इन्होंने, गुनाहों का इतना भार।"
"अरे ओ! न्याय के रखवालों, थोड़ा तो रहम करो,
गरीबी की मार सही है मैंने, थोड़ा तो समझा करो।
बड़ी मछलियाँ तो खा गईं सारा, समंदर का पानी,
और मेरी एक छोटी सी टंकी, बन गई है कहानी।"
"शायद मेरी इस सज़ा से, कुछ सबक तो लेंगे लोग,
सरकारी माल को छूने से पहले, डरेंगे थोड़ा भोग।
पर मेरा क्या होगा यारो, हवालात की ये हवा,
कहीं मेरी बची खुची हिम्मत भी, न कर दे ये फ़ना।"