यह कुंभ यह स्वाभिमान है ,
....ये सनातन संस्कृति और ज्ञान का विस्तार है,
जहां पर दिखती मोक्ष की धारा,
....जहां पर बसती त्याग की ज्वाला,
जहां संस्कृति फिर उज्जवल होति,
....जहां नरमस्तक ये विश्व सारा,
....जहां नरमस्तक ये विश्व सारा,
यह कुंभ स्वाभिमान की धारा है,
यह कुंभ स्वाभिमान की धारा है,
कवि राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है