मैंने इश्क़ किया है,
मगर किसी चेहरे से नहीं,
किसी नाम से नहीं,
मैंने इश्क़ किया है उस नूर से
जो हर साँस में बेआवाज़ बसता है।
ना चूड़ियों ने गवाही दी,
ना मेहंदी ने सवाल किया,
मेरा सजना तो वो है
जो हर सजदे में
मेरे आँसुओं को पहचान लेता है।
मैं औरत हूँ,
मगर मेरा इश्क़ दहलीज़ों में क़ैद नहीं,
मैंने उसे चाहा है
माँ की दुआ की तरह,
बेटी की ख़ामोशी की तरह,
और रूह की तलब की तरह।
ना मुझे जन्नत की लालच है,
ना दोज़ख़ का ख़ौफ़,
बस इतना सा रिश्ता है रब से—
जब टूटती हूँ,
तो सबसे पहले
उसी को पुकारती हूँ।
लोग कहते हैं
रब को महसूस कैसे करती हो?
मैं मुस्कुरा देती हूँ—
जिसने मेरी ख़ामोशी सुन ली,
वो मुझे कैसे न महसूस करेगा?
मेरा इश्क़ इबादत नहीं,
मेरा इश्क़ सौदा नहीं,
ये तो वो सरूर है
जहाँ मैं खुद को खोकर
ख़ुदा में मिल जाती हूँ।
मैंने इश्क़ किया है रब से,
इसलिए किसी और की ज़रूरत नहीं,
जिसे पा लिया उसने
फिर खोने का डर भी
छोड़ दिया।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







