ग़ज़ल
ज़ख़्म नफ़रत के सिल नहीं सकते।
गुल मुहब्बत के खिल नहीं सकते।
दूसरों से तो आप मिलते हैं,
क्या कभी हम से मिल नहीं सकते।
मेरे ख़्वाबों में ही चले आओ,
जब हक़ीक़त में मिल नहीं सकते।
जो लिखा है वही मिलेगा हमें,
हम ये क़िस्मत बदल नहीं सकते।
बात करते हैं लम्बी राहों की,
दो कदम भी जो चल नहीं सकते।
डाॅ० फ़ौज़िया नसीम 'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




