मैं चल रहा अकेला
मुझे कारवां बनानी है
मुझे देश की धड़कन
सांसें बढ़ानी है।
सह सह कर दिलों
के दर्द
अंतरिक और बाहरी कलहों
से लड़
एक नया भारत बनाना है
है संविधान की शपथ
अब होगी ना कोई
चटर पटर
होगी अब सही खबर
हिस्सेदार सभी होंगे
पहरेदार भी सब होंगें
जब हम देश होंगें
और देश भी हमसे होगा..
फिर चांदनी रात
सुनहरी धूप
सब सर्वत्र
न होगा कोई गुप्त
न सुप्त सुशुप्त
जो होगा सब जीवंत होगा
सबके लिए न्याय होगा
जब सबका साथ होगा
सबका विश्वास सबका
सबका साथ होगा
मंज़िल भी तब पास होगी
उम्मीदों की बरसात होगी
सबके सपने साकार
तब पाएंगे पुरस्कार
भर भर कर होगा संस्कार
तब जीवन का होगा
परमार्थ...
सत्यार्थ सत्यार्थ सत्यार्थ प्रकाश..