सपने सच नहीं होते ऐसा जानती हूँ मैं।
फिर भी आकाश की तरफ देखती हूँ मैं।।
किताबों से ज्ञान लेकर दिमाग में रखती।
सवालो के जबाव जानकर इतराती हूँ मैं।।
अपनी मेहनत पर भरोसा पहले भी रहा।
उसके बल से आसमान छूना चाहती हूँ मैं।।
जो बीज बोये उसकी फसल तैयार हो गई।
अब खुशी 'उपदेश' से छुपाना चाहती हूँ मैं।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद