मैं अब खास लिखूं क्या, सब उम्दा लिख गए वो..
दुनिया से जाने को भी, अपनी अदा लिख गए वो..।
ताक पर जलते दिए भी, अब तो कब के बुझ चुके..
कोई सुने न सुने, अपने दिल की सदा लिख गए वो..।
किसी को वक्त नहीं कि, ले तजुर्बा–ए–ज़िंदगी भी..
फ़र्ज़ की ख़ातिर, ज़िंदगी–ए–कायदा लिख गए वो..।
इस ज़हां की तस्वीर में, कोई अपनी भी सूरत होगी..
घबरा कर चेहरा–ए–आईने पे, पर्दा लिख गए वो..।
यूं तो उनके घरों के बीच, कोई दीवार नज़र नहीं आई..
मगर सरहदे–दिल पर, शब्द "अलहदा" लिख गए वो..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




