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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रिश्तों में खटास

कशमकश बढ़ती गई जिन्दगी की।
रिश्तों में खटास बढ़ गई गन्दगी की।।

एक झलक पाने को बेकरार दिल।
अजीब हरकते देख रही जिन्दगी की।।

पूछेगा कौन उससे मसला दिल का।
उसमें कसक दिख रही जिन्दगी की।।

होली गई ईद गई मिलने नही आया।
फितूर से दोस्ती बढ़ गई जिन्दगी की।।

गैर के दीवाने और अपनों से तकरार।
हकीकत 'उपदेश' बन गई जिन्दगी की।।

- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

वन्दना सूद said

गैर के दीवाने और अपनों से तकरार। हकीकत 'उपदेश' बन गई जिन्दगी की।।👌👌बहुत सही

Updesh Kumar Shakyawar said

धन्यवाद वंदना जी...प्रतिक्रिया के लिए

श्रेयसी said

बहुत सही लिखा आपने सर 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

श्रेयसी जी का बहुत बहुत आभार और सम्मान

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