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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा सखी.....

अब ये दर्द और सहा जाता नहीं,

अब और इंतज़ार भी होता नहीं।

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा सखी....

ख़्वाबों में अब और रहा जाता नहीं,

जुदाई में उनकी जीना आता नहीं।

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा सखी.....

उनसे दूर अकेली थकी जा रही,

मरज़ के दर्द से चूर-चूर हुई जा रही।

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा सखी.....

सुबह होते ही पहुॅंचना चाहूॅं वहीं,

है मेरे अपने जहाॅं जाऊॅं वहीं।

रात जल्दी-जल्दी गुज़र जा सखी....

🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

कमलकांत घिरी said

बहुत सुंदर रचना दीदी जी, शानदार 👌👏🙌 प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks bhai , ye kavita maine 27 oct ki shaam ko likhi thi jis din mujhe bahut tez bukhaar tha or raat bitana bahut mushkil ho raha tha to mujhe 2017 ka wo din yaad aa gaya jis din main apnon se dur akeli bahut bimaar thi or doston ne saath chhod diya tha, bas usi din ko yaad kar ye kavita likhi hai

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