खुली आँखो से हर कोई दुनिया देखते!
बन्द आँखो से देखने वाले क्या देखते ?
हमारी बात पर कोई गौर फरमाता नही!
पूछती सांस तन्हाई में बैठकर क्या देखते ?
उदासी कमरे की उकसाने लगी जब कभी।
पूछती सांस उठकर खिड़की से क्या देखते ?
दिल इस तरह गुम-सुम हो गया 'उपदेश'।
गुजर रही सांस भी पूछ बैठी क्या देखते ?
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद