प्रेम का एहसास हो तुम से कोई बात हो।
वक्त फिसल जाए दिन ढले और रात हो।।
जब कभी भी बात हो जिक्र तुम्हारा चले।
तस्वीर उभर कर देखे जर्रा जर्रा आहत हो।।
क्या लिखूँ तुम शब्दों में अथाह सागर बनो।
तुम कभी जुदा न हो तो दिल को राहत हो।।
मेरे अन्दर बसने वाले मेरी चाहत 'उपदेश'।
तुम्हीं मेरी ग़ज़ल हो और तुम मेरी आदत हो।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद