प्रेम अजीब, इतना कि इसे इंसानों में ढूंढा जाता है,,
गली मोहल्ले और किसी घर में,
इंसानों के बीच का रिश्ता ढूंढा जाता है,
प्रेम अजीब है, ख्वाबों की सरहदों में ढूंढा जाता है,,
जिनके करीब ना जाए उसे मन का वहम समझा जाता है,
जिसके पास आ भी जाए उससे रिश्ता दूर चला जाता है,,
कहीं कोई मिलता है उससे प्रेम क्यों करें,
उससे प्रेम हो जाए तो एक तरफ क्यों कहलाता है,
प्रेम अजीब है,
सांसों से शुरू होकर आंखों तक आ जाता है,
मुश्किल से अश्क बहा दिए,
और दिलों में आशिक आ जाता है।।
- ललित दाधीच