विरह के ज्वार ने आज तक मुझे रुलाया।
फिर अचानक किसी ने द्वार खटखटाया।।
अधखुली आँखों से पलटकर छाया देखी।
आँखें अचम्भित जैसे उजाला मुस्कुराया।।
बाहें खोल कर हँसने लगा सुन्दर उजाला।
बाँह थामकर चल पडी मन में प्रेम आया।।
हड़बड़ाहट में टकरा गई घर की दीवार से।
फिर अचानक घड़ी देख कुछ याद आया।।
कुछ पल का मेहमान ले विदा जाते समय।
नेह ने तब नेह में अनुरक्त हो उन्माद पाया।।
हवा चुप रह न सकी उड़ाए बाल 'उपदेश'।
तभी हवा ने होले से दरवाजा थपथपाया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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