तुम बादल बनकर आना पनघट पर।
और अडिग बने रहना अपनी हट पर।।
जब तक जल की वाष्प न बन जाऊँ।
अठखेलियाँ करते रहना तुम तट पर।।
ध्यान न देना भ्रमित न होना 'उपदेश'।
जब तक मैं चढ न जाऊँ तेरी लट पर।।
संयोग नही करना प्रयोग उड़ते उड़ते।
दिल भर जाएगा झटपट ही तट पर।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद