(कविता ) ( दूर की बात)
रातेते हुए काे हंसाना
मरते हए काेबचाना
पुरानी मुलाकात हाे गई
ये ताे दूर की बात हाे गई
उजडे हुए घर काे बसाना
टुटे हुए दिल काे मिलाना
अब विस्वास घात हाे गई
ये ताे दूर की बात हाे गई
किसीका भला करना
किसीके लिए मरना
सावन बिन बरसात हाे गई
ये ताे दूर की बात हाे गई
भष्टचार काे मिटाना
गरीबी काे हटाना
बैमान साथ हाे गई
ये ताे दूर की बात हाे गई
गरीब बच्चाें काे पढाना
देस काे अागे बढाना
दिन में ही रात हाे गई
ये ताे दूर कि बात हाे गई
ये ताे दूर की बात हाे गई.......