देश प्रेम दिल में न हो तो ज़िंदगी बेकार है
इंकलाब सिर्फ बोलने से इंकलाब नहीं होता
जुर्म देख कर भी चुप रहना जुर्म है
उसका ख़ून, ख़ून नहीं जिसमें उबाल नहीं होता
बगैर जोश के काम अधूरा रहता है
आँच बिना दूध में उफान नहीं होता
मिट्टी में मिलने की हसरत सरहद तक ले जाती है
जज़्बात न हो दिल में तो कोई शूरवीर नहीं होता