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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मेरे अनोखे पापा

आप मेरे लिए बहुत अनोखे हैं पापा
मुझे याद है जब भी कोई कहता---
कवि जी, ऐसे कैसे चलेगा जीविकोपार्जन के लिए कमाना तो पड़ेगा
तब आप कहते-- 'कवि और कमाई क्या कहते हो भाई
कविता के माध्यम से हीं समाज में संवेदनशीलता का विकास किया जाना,स्वार्थी को उदात्त बनाया जाना संभव है
ऐसे में कविता की क्या कोई जरूरत नहीं है तुम्हारे समाज में, मैं दस बजे ऑफिस जाऊँगा तो मेरी अधूरी कविता क्या बौस पूरी करेंगे।"

और इस तरह अपनी शर्तों पर हीं ताउम्र आपका जीना, जरूरतों का पहाड़ मगर मानवीय मूल्यों से कोई समझौता न करना

ख़ुद ज़रूरतमंद होते हुए भी दूसरों की जरूरत पूरी करना
समाजिक उत्थान के लिए सबको प्रेरित करना

सुभाष जयंती मनाना, बुद्ध जयंती मना कर सुजाता की खीर बँटवाना

राहुल सांकृत्यायन भाषा शिक्षण संस्थान खोलकर उसे सफल बनाने के जद्दोजहद में लगे रहना

रेडियो पर आपकी कविता पाठ और सुनने के लिए पड़ोसियों का जमावड़ा लगना

दूरदर्शन पर आपकी कविता का प्रसारण और हम लोगों का एंटीना घुमाना

छोटे से जीले के सौंदर्यीकरण के लिए झील और उसमें पैगोडा बुक कॉफे बनवाने का बीड़ा उठाना

और उसके लिए अपने जीवन की आहुति देना अविस्मरणीय है इसीलिए तो आप अनोखे हैं
तभी तो मैं कहती हूँ आप हैं मेरे अनोखे पापा.....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर।👌🙏🙏

शिवचरण दास said

वाकई पापा तो अनोखे हैं. .वाह वाह

Lekhram Yadav said

क्या खूबसूरत चित्रण किया है फादर्स डे का, मजा आ गया, आपको सादर नमस्कार सहित फादर्स डे की शुभ कामनाएं।

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार धन्यवाद सुभाष जी 🙏🙏

श्रेयसी said

वाकई मेरे पापा ऐसे हीं थे , बहुत-बहुत आभार धन्यवाद शिवचरण जी 🙏🙏

श्रेयसी said

सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏 आपको भी फादर्स डे की शुभकामनाएंँ । ये चित्रण काल्पनिक नहीं वास्तविक है ऐसे हीं थे मेरे पापा। बहुत-बहुत आभार धन्यवाद इतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए 🙏🙏

श्रेयसी said

लेकिन मेरी कल वाली रचना पर आपकी प्रतिक्रिया नहीं आई

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah! Bahut sundar rachna dil ko chhu gai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

मन छू लेने वाली श्रद्धांजलि, संवेदना से भरी, सजीव स्मृतियों की माला में पिरोई यह रचना — सच में अनमोल है।

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर यादों के झरोखे से बाहर आती छवि आपके पापा की और उनसे सबको प्रेरणा लेनी चाहिये

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