छोड़ी सारी ज़मीन, सारा आसमां छोड़ आया
उसके प्यार में बस वह सारा जहां छोड़ आया,
जिंदगी ने उसको इक हुनर कुछ ऐसा दिया
जिस रस्ते गुजरा बस वह अपना निशाँ छोड़ आया,
कैद कर के भी कैद उसको वह कभी न रख पाया,
आज़ाद तो हुआ पर वह अपनी उड़ान छोड़ आया,
सोचता ये अब है कि छुपाऊं तो किस्से कैसे छिपाऊं,
लिखा जो अबतलक वह तो खुलेआम छोड़ आया,
जिंदगी के इम्तेहान को उसने कुछ इस तरह लिखा,
मुश्किलों को हल किया, आसान यूंही छोड़ आया,
जिंदगी में जख्मों पर ज़ख्म कुछ इस कदर मिले,
जिंदगी का अखिल साथ बीच सफ़र वह छोड़ आया ।