माटी का खिलौना है आख़िर टूट जाना है,
बाँटो खुशियाँ तब तक साँसों का खजाना है !!
ये जनम दोबारा ग़र मिल जाये तो क्या करना,
रहते ही भलाई करो किसको फिर आना है !!
कागज की ढेरी का क्या करना है आखिर,
खाली ही आये थे पगले खाली ही जाना है !!
इस झीनी चदरिया का अभिमान न कर बन्धु ,
कपड़े की तरह पल में फर-फर जल जाना है !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




