मां
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात
माँ सी माँ ही है जग में,
और कोई नहीं है यहाँ।
प्यार का सागर माँ है,
और कोई नहीं है यहाँ।
गंगा सी गंगा ही है पावन,
और कोई नहीं है यहाँ।
ज्ञान का सागर गीता है,
और कोई नहीं है यहाँ।
सूरज सा सूरज ही है तेज,
और कोई नहीं है यहाँ।
चाँद सा चाँद ही है शीतल,
और कोई नहीं है यहाँ।
सागर सा सागर ही है गहरा,
और कोई नहीं है यहाँ।
पर्वत सा पर्वत ही है ऊँचा,
और कोई नहीं है यहाँ।
भारत सा भारत ही है महान,
और कोई नहीं है यहाँ।
राम सा राम ही है न्यायी,
और कोई नहीं है यहाँ।