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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्या करूं?

दुनिया के किए हर वार का बड़ी ही बहादुरी से
जवाब दिया मैंने,
पर ज़िंदगी के चलाए इन बाणों का क्या करूं ?
परायों के दिए दर्द को खुशी से अपनाकर उन्हें
हरा दिया,
पर अपनों के ही दिए दर्दों का क्या करूं ?

दुनिया के विश्वासघात को सबक समझ लिया,
पर ज़िंदगी के किए विश्वासघात का क्या करूं ?
परायों की चलाई छुरी से संभल गई मैं,
पर अपनों की ही तलवार का क्या करूं ?

दुनिया की मात से कभी मात खाई नहीं मैंने,
पर ज़िंदगी जो मात दे रही है उसका क्या करूं ?
पराए मारे चाहे कितने ही ताने उससे मुझे कोई
फ़र्क नहीं पड़ता ,
पर अपने ही जो ताने मार रहे हैं उनका मैं
क्या करूं ?

दुनिया ने हमेशा बगावत की है मुझसे
और मैंने उसे हमेशा मुस्कुरा के टाल दिया,
पर ज़िंदगी जो बगावत पर उतर आई उसका
मैं क्या करूं ?
परायों ने बदनाम करना चाहा लेकिन अपने कर्मों से
नामी बनी रही,
पर अपनों की ही दी इस बदनामी का मैं क्या करूं ?

दुनिया ने मुंह फेरा मुझसे तो मैंने भी उससे
नाता तोड़ दिया,
पर अपनी ही ज़िंदगी ने मुंह फेर लिया तो
उसका मैं क्या करूं ?
कुछ परायों ने अपना बनाकर फिर पराया कर दिया
उसका मुझे कोई ग़म नहीं,
पर अपनों ने ही पराया कर दिया उसका मैं
क्या करूं ?
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
















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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी पयारी बहना, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। करो वही जो आपका मन कहता है, बाकी सब बेमानी है। आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏प्रणाम

श्रेयसी said

सच है अच्छों के साथ अक्सर यही होता है पर धैर्य के आगे सब विफल होता है 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी बिल्कुल सही कहा आपने बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏

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