मेरी जरूरत जो महसूस नही करते।
भविष्य की कल्पना क्यों नही करते।।
वो नाराज भी नही हँसकर टाल देते।
अधूरी ख्वाहिशें पूरी क्यों नही करते।।
हमारे बार-बार मनाने से होते कायल।
वो निभाने पर तवज्जो क्यों नही देते।।
बेवजह की बंदिश लगाना छोड़ दिया।
रोज प्यार की गर्माहट क्यों नही देते।।
खुदा गवाह खिदमत करती हूँ बखूबी।
पूरा वक्त 'उपदेश' मुझे क्यों नही देते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद