कविता : नाजुक दिल...
लाख कोशिश कर के भी
तुम्हें न पा सके हम
हे सनम हम को इसी
बातों से है बहुत ग़म
हम न घर के न घाट के
हमारी अवस्था है ऐसी
तुम कहीं भी रहो तुम्हारी
हालत न हो हमारी जैसी
दूसरी बात तुम डांस
करो या मुजरा करो
मगर कभी कभी तुम हमारे
गली से गुजरा करो
ताकि तुम्हें देख कर
हमें सकूं मिल जाए
हमारा नाजुक दिल भी
थोड़ा सा बहल जाए
हमारा नाजुक दिल भी
थोड़ा सा बहल जाए.......
netra prasad gautam